सब्जियों का राजा कहे जाने वाले बैंगन के औषधीय गुण भी हो सकते हैं, इस बात को बहुत कम लोग जानते होंगे। हिन्दुस्तान की लगभग हर रसोई में बैंगन को सब्जी के तौर पर पकाया जाता है लेकिन सुदूर आदिवासी अंचलों में इसे अनेक हर्बल नुस्खों के तौर पर अपनाया जाता है। चलिए जानते हैं बैंगन से जुडे कुछ हर्बल नुस्खों के बारे में..
बैंगन के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।
पातालकोट में आदिवासी बैंगन को चुल्हे पर भून लेते हैं और इसमें स्वादानुसार नमक छिडककर खाते हैं, इन आदिवासियों के अनुसार बैंगन को इस तरह चबाना खाँसी ठीक कर देता है और कफ बाहर निकल आता है।
आदिवासी चुल्हे पर भुने हुए बैंगन में थोडी सी शक्कर डालकर सुबह खाली पेट खाने की सलाह देते हैं, उनका मानना है कि ऐसा करने से शरीर में रक्त की कमी दूर हो जाती है, वैसे अक्सर आदिवासी हर्बल जानकार इस फार्मुले को मलेरिया रोग के इलाज के बाद देते हैं।
- गुजरात के हर्बल जानकारों के अनुसार बैंगन का सूप तैयार किया जाए जिसमें हींग और लहसून भी स्वाद के अनुसार मिलाया जाए और सेवन किया जाए तो यह पेट फूलना, गैस, बदहज़मी और अपचन जैसी समस्याओं में काफी राहत देता है।
आग पर भुने हुए बैंगन में स्वादानुसार शहद डालकर रात में खाने से नींद अच्छी तरह से आती है, आदिवासियों के अनुसार बैंगन नींद ना आने की बीमारी को दूर करने में काफी कारगर सिद्ध होता है।
बैंगन में फ़ायबर की प्रचूर मात्रा पाई जाती है और इसमें पाए जाने वाले कार्बोहाईड्रेड अल्प मात्रा में घुलनशील प्रकृति के होते है इसलिए इसे डायबिटीस के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। टाईप 2 डायबिटिस से ग्रस्त रोगियों को नित्य बैंगन सेवन से शर्करा नियंत्रण में काफी मदद मिलती है।
आदिवासियों के अनुसार बैंगन का सेवन उच्च रक्तचाप और हृदयरोगियों के लिए उत्तम है। आधुनिक विज्ञान भी इस बात की पैरवी करता है। अक्सर देखा गया है कि शरीर में लौह तत्वों की अधिकता नुकसान करती है और ऐसे में नासुनिन नामक रसायन जो बैंगन में पाया जाता है, यह शरीर के लौह तत्वों की अधिकता को नियंत्रित करता है और इसे सामान्य बनाने में मदद करता है। इस वजह से हॄदय संचालन सामान्य रहता है और उच्च रक्तचाप भी नियंत्रित रहता है।
यदि किसी वजह से जहरीले मशरूम का सेवन कर लिया जाए तो व्यक्ति को तुरंत भुने हुए बैंगन को मसलकर खिलाना चाहिए जिससे मशरूम का जहरीला असर खत्म हो जाता है।
बैंगन के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।
पातालकोट में आदिवासी बैंगन को चुल्हे पर भून लेते हैं और इसमें स्वादानुसार नमक छिडककर खाते हैं, इन आदिवासियों के अनुसार बैंगन को इस तरह चबाना खाँसी ठीक कर देता है और कफ बाहर निकल आता है।
आदिवासी चुल्हे पर भुने हुए बैंगन में थोडी सी शक्कर डालकर सुबह खाली पेट खाने की सलाह देते हैं, उनका मानना है कि ऐसा करने से शरीर में रक्त की कमी दूर हो जाती है, वैसे अक्सर आदिवासी हर्बल जानकार इस फार्मुले को मलेरिया रोग के इलाज के बाद देते हैं।
- गुजरात के हर्बल जानकारों के अनुसार बैंगन का सूप तैयार किया जाए जिसमें हींग और लहसून भी स्वाद के अनुसार मिलाया जाए और सेवन किया जाए तो यह पेट फूलना, गैस, बदहज़मी और अपचन जैसी समस्याओं में काफी राहत देता है।
आग पर भुने हुए बैंगन में स्वादानुसार शहद डालकर रात में खाने से नींद अच्छी तरह से आती है, आदिवासियों के अनुसार बैंगन नींद ना आने की बीमारी को दूर करने में काफी कारगर सिद्ध होता है।
बैंगन में फ़ायबर की प्रचूर मात्रा पाई जाती है और इसमें पाए जाने वाले कार्बोहाईड्रेड अल्प मात्रा में घुलनशील प्रकृति के होते है इसलिए इसे डायबिटीस के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। टाईप 2 डायबिटिस से ग्रस्त रोगियों को नित्य बैंगन सेवन से शर्करा नियंत्रण में काफी मदद मिलती है।
आदिवासियों के अनुसार बैंगन का सेवन उच्च रक्तचाप और हृदयरोगियों के लिए उत्तम है। आधुनिक विज्ञान भी इस बात की पैरवी करता है। अक्सर देखा गया है कि शरीर में लौह तत्वों की अधिकता नुकसान करती है और ऐसे में नासुनिन नामक रसायन जो बैंगन में पाया जाता है, यह शरीर के लौह तत्वों की अधिकता को नियंत्रित करता है और इसे सामान्य बनाने में मदद करता है। इस वजह से हॄदय संचालन सामान्य रहता है और उच्च रक्तचाप भी नियंत्रित रहता है।
यदि किसी वजह से जहरीले मशरूम का सेवन कर लिया जाए तो व्यक्ति को तुरंत भुने हुए बैंगन को मसलकर खिलाना चाहिए जिससे मशरूम का जहरीला असर खत्म हो जाता है।
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