श्रावण मास में हर सोमवार
शिवलिंग पर बेल पत्र चढाने का आध्यात्मिक लाभ तो है ही साथ ही बेल के वृक्ष तले जा
कर उसके पत्र तोड़ने से और एक एक कर उसे चढाने से उसके स्पर्श और उसकी छाया में
श्वास लेने मात्र से शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते है. हाँ, साथ ही भाव अवश्य
ज़रूरी है. वरना एक चिड़िया भी उस पर रहती है और खाती है, पर कोई लाभ नहीं
होता.
बेल पत्र के सेवन से शरीर में आहार
के पोषक तत्व अधिकाधिक रूप से अवशोषित होने लगते है.
मन
एकाग्र रहता है और ध्यान केन्द्रित करने में सहायता मिलती है.
इसके
सेवन से शारीरिक वृद्धि होती है.
बारिश
के दिनों में अक्सर आँख आ जाती है यानी कंजक्टिवाईटीस हो जाता है. बेल पत्रों का
रस आँखों में डालने से; लेप करने से लाभ होता है.
इसके
पत्तों का काढा पिने से ह्रदय मज़बूत होता है.
इसके
पत्तों के १० ग्राम रस में १ ग्रा. काली मिर्च और १ ग्रा. सेंधा नमक मिला कर सुबह
दोपहर और शाम में लेने से अजीर्ण में लाभ होता है.
बेल
पत्र, धनिया
और सौंफ सामान मात्रा में ले कर कूटकर चूर्ण बना ले. शाम को १० -२० ग्रा. चूर्ण को
१०० ग्रा. पानी में भिगो कर रखे. सुबह छानकर पिए. सुबह भिगोकर शाम को ले. इससे
प्रमेह और प्रदर में लाभ होता है. शरीर की अत्याधिक गर्मी दूर होती है.
इस
मौसम में होने वाले सर्दी , खांसी और बुखार के लिए बेल पत्र के रस
में शहद मिलाकर ले.
बेल
के पत्तें पीसकर गुड मिलाकर गोलियां बनाकर रखे. इसे लेने से विषम ज्वर में लाभ
होता है.
दमा
या अस्थमा के लिए बेल पत्तों का काढा लाभकारी है.
सूखे
हुए बेल पत्र धुप के साथ जलाने से वातावरण शुद्ध होता है.
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