औषधीय पौधे हमारे सामाजिक जीवन का हिस्सा है। सदियों से हम भारतीय विभिन्न विकारों के इलाज के लिए औषधीय पौधों का उपयोग करते आ रहें हैं। यह बात अलग है कि 21 वीं सदी में कृत्रिम और रसायन आधारित दवाओं, जिन्हें एलोपैथिक ड्रग्स कहा जाता है, ने बहुत हद तक आम जनों का घरेलू और पारंपरिक उपचार पद्धतियों से विश्वास कम कर दिया, वजहें जो भी हो किंतु सत्यता ये है कि भागती-दौडती जिंदगी में हर व्यक्ति रफ़तार से चुस्त- दुरुस्त होना चाहता है।
एलोपैथिक ड्रग्स अल्प-अवधि के लिये ऐसा संभव भी कर देती है, किंतु इन ड्रग्स के साईड ईफ़ेक्ट्स का भुगतान शरीर को किस हद तक करना पड सकता है, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। पारंपरिक घरेलू नुस्खों की खासियत ये है कि इनमें से अधिकतर जडी-बूटियाँ हमारे आस-पास बगीचों मे या किचन की अलमारी में मिल जाती हैं। आईये जाने कुछ जडी-बूटियों को और उनसे जुडे कुछ चुनिंदा फ़ार्मूलों को..
रसोई में उपलब्ध हर्बल नुस्खों के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।
हल्दी और बराबर मात्रा में काली मिर्च का पाउडर शरीर में दर्द होने पर तेल के साथ लगाकर मालिश करने से आराम मिलता है।
अस्थमा का दौरा पडने पर गर्म पानी में तुलसी के 5 से 10 पत्ते मिलाएं और सेवन करें, यह सांस लेना आसान करता है। इसी प्रकार तुलसी का रस, अदरक रस और शहद का समान मिश्रण प्रतिदिन एक चम्मच के हिसाब से अस्थमा पीड़ित लोगों के लिए अच्छा होता है ।
पुदीने की पत्तियों का रस, तुलसी रस और शहद का मिश्रण मुहाँसों पर लगाने से काफ़ी जल्दी आराम मिलता है ।
मेथी के बीजों का पाउडर बनाकर उसे पानी में मिलाकर पेस्ट बनाया जाए व खोपड़ी पर लगाया जाए तो यह डैन्ड्रफ़ खत्म कर देता है और साथ ही बालों को मजबूत और झडने से बचाता है।
अदरख के कुछ टुकडों (लगभग 10 ग्राम), धनिया के बीज (2 चम्मच) और गुड (20 ग्राम) को 2 कप पानी में डालकर तब तक उबालें जब तक कि ये एक कप न रह जाये। इसे गर्भवती महिलाओं को दिया जाता है जिन्हे अकसर सीने और पेट में जलन की शिकायत होती है।
लहसुन की कलियों को 40 दिनों के लिए शहद में डुबोकर रखा जाए और फ़िर इस मिश्रण का एक चम्मच रोज सेवन हकलाने जैसी समस्या में सुधार लाता है साथ ही यह गले के संक्रमण में आराम भी दिलाता है। वैसे गुजरात प्राँत के आदिवासियों का मानना है कि अगर इसका सेवन एक साल के लिए लगातार किया जाए तो यह ल्युकोडर्मा जैसी बीमारी का इलाज करने में मदद करता है। लहसुन की 2 कलियों का प्रतिदिन सेवन माताओं में दूध स्त्रावण को सुचारू बनाता है।
जैतून का तेल और शहद की बराबर मात्रा लेकर उससे बालों की मालिश की जाए, तुरंत नहाकर एक गर्म तौलिया से सिर को कवर किया जाए, यह एक अच्छॆ कंडीशनर के रूप में काम करता है।
प्याज और गुड को प्रतिदिन समान मात्रा मे खाने से वजन बढ़ाने में मदद मिलती है। प्याज में आयरन होता है इसलिए एनीमिया के उपचार में लाभदायक होता है और कच्चा प्याज खाने से दिल के दौरे की संभावनाओं में कमी आती है।
मेथी की पत्तियों का ताजा रस, अदरख और शहद को धीमी आँच पर कुछ देर गर्म करके पिलाने से अस्थमा के रोगी को काफ़ी आराम मिलता है।
एलोपैथिक ड्रग्स अल्प-अवधि के लिये ऐसा संभव भी कर देती है, किंतु इन ड्रग्स के साईड ईफ़ेक्ट्स का भुगतान शरीर को किस हद तक करना पड सकता है, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। पारंपरिक घरेलू नुस्खों की खासियत ये है कि इनमें से अधिकतर जडी-बूटियाँ हमारे आस-पास बगीचों मे या किचन की अलमारी में मिल जाती हैं। आईये जाने कुछ जडी-बूटियों को और उनसे जुडे कुछ चुनिंदा फ़ार्मूलों को..
रसोई में उपलब्ध हर्बल नुस्खों के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।
हल्दी और बराबर मात्रा में काली मिर्च का पाउडर शरीर में दर्द होने पर तेल के साथ लगाकर मालिश करने से आराम मिलता है।
अस्थमा का दौरा पडने पर गर्म पानी में तुलसी के 5 से 10 पत्ते मिलाएं और सेवन करें, यह सांस लेना आसान करता है। इसी प्रकार तुलसी का रस, अदरक रस और शहद का समान मिश्रण प्रतिदिन एक चम्मच के हिसाब से अस्थमा पीड़ित लोगों के लिए अच्छा होता है ।
पुदीने की पत्तियों का रस, तुलसी रस और शहद का मिश्रण मुहाँसों पर लगाने से काफ़ी जल्दी आराम मिलता है ।
मेथी के बीजों का पाउडर बनाकर उसे पानी में मिलाकर पेस्ट बनाया जाए व खोपड़ी पर लगाया जाए तो यह डैन्ड्रफ़ खत्म कर देता है और साथ ही बालों को मजबूत और झडने से बचाता है।
अदरख के कुछ टुकडों (लगभग 10 ग्राम), धनिया के बीज (2 चम्मच) और गुड (20 ग्राम) को 2 कप पानी में डालकर तब तक उबालें जब तक कि ये एक कप न रह जाये। इसे गर्भवती महिलाओं को दिया जाता है जिन्हे अकसर सीने और पेट में जलन की शिकायत होती है।
लहसुन की कलियों को 40 दिनों के लिए शहद में डुबोकर रखा जाए और फ़िर इस मिश्रण का एक चम्मच रोज सेवन हकलाने जैसी समस्या में सुधार लाता है साथ ही यह गले के संक्रमण में आराम भी दिलाता है। वैसे गुजरात प्राँत के आदिवासियों का मानना है कि अगर इसका सेवन एक साल के लिए लगातार किया जाए तो यह ल्युकोडर्मा जैसी बीमारी का इलाज करने में मदद करता है। लहसुन की 2 कलियों का प्रतिदिन सेवन माताओं में दूध स्त्रावण को सुचारू बनाता है।
जैतून का तेल और शहद की बराबर मात्रा लेकर उससे बालों की मालिश की जाए, तुरंत नहाकर एक गर्म तौलिया से सिर को कवर किया जाए, यह एक अच्छॆ कंडीशनर के रूप में काम करता है।
प्याज और गुड को प्रतिदिन समान मात्रा मे खाने से वजन बढ़ाने में मदद मिलती है। प्याज में आयरन होता है इसलिए एनीमिया के उपचार में लाभदायक होता है और कच्चा प्याज खाने से दिल के दौरे की संभावनाओं में कमी आती है।
मेथी की पत्तियों का ताजा रस, अदरख और शहद को धीमी आँच पर कुछ देर गर्म करके पिलाने से अस्थमा के रोगी को काफ़ी आराम मिलता है।
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